11/03/2007

अरुण यह मधुमय देश हमारा -2

गोपाल सिंह नेपाली स्मृति निबंध प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त रचना


इतिहास के अनुसार हमारा देश दस हजार (वर्ष) पुराना है। हमारे देश ने कई प्रकार की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक समस्याओं का सामाना करते हुए आज भी विश्व में अपना एक अलग स्थान बनाया हुआ है। जहां अनेक प्रकार की विभिन्नता के बावजूद भी एक अनोखी एकता दिखाई देती है। हमारा देश भारत लगभग तीन शताब्दियों तक पराधीनता की बेडियों में जकड़ा था। इसी बीच अग्रेजों ने उसे बिलकुल कगांल कर दिया इसके अलावा बगंलादेश, बर्मा, श्रीलंका और पाक्स्तान को भारत से अलग कर दिया जो भारत के अंग थे। 15 अगस्त सन् 1947 को जब भारत आजाद हुआ तो उनके सामने अनेक समस्यायें विकराल रूप लेकर खड़ी थीं सिसमें से 50 वर्षों में अधिकांश समस्याओं का समाधान हो गया है और भारत सभी क्षेत्रों में निरन्तर आगे बढ़ते हुए विकसित देशों की श्रृखला में आने की कोशिश कर रहा है।

शिक्षा का विकासः-
मनुष्य के विकास में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। हमारा देश शिक्षा के प्रति अनेक महत्वपूर्ण भावनाओं से जैसे राजीव गांधी शिक्षा मिशन के अंतर्गत सर्व शिक्षा अभियान के तहत ग्रामीण बच्चों की सुविधा के लिए स्कूल एक किलोमीटर के दायरे में खोले गये हैं । 98 प्रतिशत जिलों में सरकारी साक्षरता अभियान चलाया जा रहा है। प्राथमिक शालाओं में बच्चो को मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था कराई जा रही है। 1से 8वीं तक के बच्चों के लिये निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था कराई जा रही है। इस प्रकार हमारा देश शिक्षा के क्षेत्र में बहुत से अभियान चला रही है जिससे देश के नागरिक शिक्षित होकर देश की प्रगति में योगदान कर सके।

आधुनिक जन परिवहन प्रणाली-
जानलेवा दुर्घटनाओं और यातायात जाम की स्थिति से बचने के लिए सरकार ने इस प्रणाली को अपनाया है। इसके अंतर्गत दिल्ली में मेट्रो रेल चलाने की कवायद शुरू की है । इससे ईधन की बचत होगी । क्योंकि हमारे राजधानी के सड़कों पर दौड़ने वाली वाहनों की संख्या करीब पैंतीस लाख है । मेट्रो रेल के संचालित होने से रफ्तार को बढ़ाने और यातायात की जाम की स्थिति से निपटने तथा सड़क हादसों में कमी लाने में काफी सहायक सिद्ध हो सकती है।

पंचायती राज-
हमारा भारत वर्ष गाँवो का देश है। गांवों की उन्नति के बिना हारे देश की उन्नति संभव नहीं है। सच्चे प्रजातंत्र के लिए सारे समान में सुख समृद्धि तथा समानता होना आवश्यक है। प्राचीन भारत में हमारे देश में पंचायतें उन्नत अवस्था में थी उनका रूप प्रजातांत्रिक था लेकिन जब भारत अंग्रेजों का गुलाम हो गया था, पंचायतों का अस्तित्व समाप्त हो गया । आजादी के बाद गाँधी जी की इच्छा थी कि भारत में एक बार फिर रामराज्य स्थापना हो । इस स्वप्न को पूरा कराने के लिए सन 1947 में एक पंचायती राज्य कानून बनाया गया । इसके बाद गाँवों की स्थिति में सुधार शुरू हुआ। आम सभा के अंदर सड़कें बनवाना, मरम्मत करवाना, सफाई, रोशनी का प्रबंध, चिकित्सा, जच्चा बच्चा की देखभाल तथा संपति की रक्षा जन्म मरण का हिसाब रखना मुख्य कार्य है।

विश्व शांति और भारत
आज विश्व बारूद की ढेर पर खड़ा है। आये दिन बम धमाके हो रहे हैं। जिससे हजारों बेगुनाहों की मौत हो रही है। भारत की नीति हमेशा से तटस्थता की नीति रही है। भारत की सेनाएं जब कभी भी अपनी सीमाओं से बाहर गई है तब या तो आक्रमणकारियों को सबक सिखाने के लिए की गई या फिर युद्धग्रस्त क्षेत्रों में शांति स्थापनार्थ ही की गई है। भारत ने अपने पड़ोसी देशों के साथ शांति पूर्ण सबंध स्थापित किए है। पाकिस्तान के साथ अपने सबंध सुधारने के लिए भारत ने कई बार शांति पूर्ण वार्ता की है। इन्हीं भावनाओं के तहत 6 अप्रैल 2006 को श्रीनगर- मुजफ्फराबाद बस सेवा फिर से शुरू की गई, जिससे दोनों देशों के नागरिकों में खुशी की लहर दौड़ गई और । इसे “शांति का कारवां कहा” गया।

अंतरिक्ष में भारत
विश्व में आज अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में जो होड़ लगी हुई है उसमें हमारा देश भारत भी पीछे नहीं है। भारत के द्वारा छोड़ा गया प्रथम उपग्रह “एप्पल” उसके बाद “भास्कर द्वितीय”, रोहिणी उपग्रह “बी-2” “इन्सेट ‘A’, ‘आर्यभट्ट’, ‘इन्सेट’ ‘इन्सेट 3A’ जैसे उपग्रह भारत के द्वारा अंतरिक्ष पर भेजे गए हैं । अनेक भारतीय वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष की यात्रा में सफलता प्राप्त की है । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान विज्ञान की प्रगति से भारतीय वैज्ञानिको की अद्भुत प्रतिभा, साहस, धैर्य, क्षमता और जिज्ञासा की भावना प्रगट होती है ।

देश में दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र में गति लाने के लिए स्वदेश निर्मित शैक्षणिक उपग्रह “एडूसैट” का प्रक्षेपण 2004 को किया गया है । एडूसैट के कार्यशील होने से दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाई जा सकती है । (इससे) टेवीविजन स्टूडियो में बैठे शिक्षक विद्यालयों महाविद्यालयों में सैकड़ों हजारों महाविद्यालयों को एक साथ संबोधित कर सकेंगे । इस व्यवस्था से दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी से निपटा जा सकेगा । इस प्रकार भारत अंतरिक्ष अनुसंथान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका प्रस्तुत की है । और करता रहेगा ।

भारत में हरित क्रांति-
हमारे भारत को हरियाली या हरेपन का खिलाव, विकास एवं सब तरह से सुख समृद्धि का प्रतीक माना गया है । हरित क्रांति का अर्थ भी देश का अनाजों या खाद्य पदार्थों की दृष्टि से सम्पन्न या आत्मनिर्भर होने का है । वह सर्वथा उचित ही है । विश्व में भारत ही एक मात्र ऐसा दैश है जिसे आज भी कृषि प्रधान या खेती बाड़ी प्रधान देश कहा और माना जाता है । हरित क्रांति ने भारत की खाद्य समस्या का समाधान तो किया ही उसे उगाने वाले के जीवन को भी पूरी तरह से बदल कर रखा दिया अर्थात् उनकी गरीबी दूर कर दी । छोटे और बड़े सभी किसानों को समृद्धि और सुख का द्वार देख पाने में सफलता पा सकने वाला बनाया गया । (इसमें) नए-नए अनुसंधान और प्रयोग में लगी सरकारी, गैर सरकारी संस्थाओं का भी निश्चय ही बहुत बड़ा हाथ है। उन्होंने उन्नत किस्म के बीजों का विकास तो किया ही है, साथ ही मिट्टी का निरीक्षण (परीक्षण) कर यह भी बताया है कि किस मिट्टी में कौन-सा बीज बोने से ज्यादा लाभ मिल सकता है । इस प्रकार हरित क्रांति ने भारत की खाद्यान्न की समस्या पर विजय प्राप्त की है ।

भारत की धर्म निरपेक्षता की नीति-
धर्मनिरपेक्षता हमारी सांवैधानिक व्यवस्था की सामाजिक चेतना और मानवता का सार तत्व है । धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है – राज्य का, सरकार का कोई धर्म नहीं, राज्य के सभी नागरिक अपना धर्म मानने के लिए स्वतंत्र है । इससे सभी देशों में भारत का सम्मान बढ़ा है । आज का भारत अनेकता में एकता का श्रेष्ठ उदाहरण है । इस देश में सभी धर्मों तथा उनके मानने वालों का एक समान सम्मान है । यह हमारे प्रजातंत्र की सफलता है ।

भारतीय धर्म और संस्कृति-
हमारे भारत में 325 में अधिक भाषायें व 1200 से भी अधिक बोलियां हैं । भारतभूमि अपने आँचल में विभिन्न धर्म और तद्-नुसार संस्कृतियां समेटे हुए हैं । भारत की मुख्यतः छः प्रमुख धर्म- हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई बौद्ध और जैन धर्म हैं । इनके अवाला अन्य धर्मों की भी गरिमामयी उपस्थिति है । विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के जीवन के रंग-ढंग और तरीकों ने भारतीय संस्कृति को निरंतर समृद्ध किया है । जनजीवन के उल्लास को अभिव्यक्ति करने वाले नृत्य. संगीत, गायन और चित्रकला जैसी विधाओं में इनकी छटा नजर आती है । इस प्रकार भारत में विभिन्न धर्म और संस्कृति के बीच एक अनोखी एकता है ।

भारत में अनेकता में एकता-
हमारी भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीन संस्कृतियों में से एक है । हमारे देश में विभिन्न भाषाओं, धर्मों, जातियों, सम्प्रदायों के लोग निवास करते हैं । लेकिन उनका लक्ष्य सब को सुखी और प्रसन्न रखना है । यहाँ वसुधा को ही कुटुम्ब माना जाता है । हमारे देश में शक, कुषाण, हुण, ग्रीक पारसी, यहुदी, मुसलमान आदि अनेक जाति के लोगों ने शासन किया लेकिन सभी भारतीय संस्कृति में रंगते चले गये जो हमारे देश में अनेकता में एकता की एक मिसाल है ।

भारत में सहकारिता आंदोलन-
सहकारिता का अर्थ है - कुछ या कई लोगों को सहयोग या मेल मिलाप से संगठित किया गया कार्य । सहकारिता के आधार पर कोई भी कार्य करना आसान हो जाता है । भारत में अनेक प्रकार की सहकारी संस्थाएं कार्य कर रही हैं । दैनिक उपभोक्ता वस्तुओं के सरकारी स्टोर कैण्टिन्स, भवन-निर्माण, संस्थाएं आदि सहकारी क्षेत्रों में कार्य कर रही है। भारत में सरकारी संस्थाओं का अनुभव और आंदोलन प्रायः लाभदायक एवं जनहितकारी साबित हुआ है। कई बार ऐसा भी हुआ करता था कि अथक परिश्रम करते रहने पर भी अकेले व्यक्ति को आवश्यकतानुसार उचित परिश्रमिक नहीं प्राप्त होता था। सहकारिता आंदोलन से भारत ने इस समस्या पर विजय हासिल कर ली है। और अब निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर हो रहा है।

कम्प्यूटर का उपयोग-
वर्तमान समय में भारत में अधिकाधिक कम्प्यूटर का उपयोग होता जा रहा है। स्कूलों, कालेजों, सरकारी दफ्तरों, दुकानों, अस्पतालों आदि सभी जगहों पर कम्प्यूटर के द्वारा कार्य संचालित किए जा रहे हैं। जिससे कार्य करने में तेजी आ गई है। हमारे देश में कम्प्यूटर नेटवर्क के माध्यम से देश के प्रमुख नगरों को एक दूसरे साथ जोड़े जाने की प्रक्रिया जारी है। भवनों, मोटरगाडियों, हवाई जहाजों आदि के डिजाइन आजकल कंप्यूटर के द्वारा ही किया जा रहा है । कम्प्यूटर से करोड़ मील दूर अंतरिक्ष के चित्र लिए जा रहे हैं। भारत में भी अन इंटरनेट का प्रयोग किया जाने लगा है। इसके द्वारा हम एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर उपस्थित व्यक्ति को संदेश भेज सकते हैं। इस प्रकार हमारा देश भी अब कम्प्यूटर का अधिकाधिक प्रयोग कर उससे लाभान्वित हो रहा है।

भारत में प्रक्षेपास्त्र विकास का कार्यक्रम-
आज जिसे मिसाइल या प्रक्षेपास्त्र कहा जाता है वे सैकड़ों हजारों मिलों तक जाकर तबाही कर सकने में समर्थ परमाणु शक्ति से संचालित अस्त्र-शस्त्र है। इनके द्वारा परमाणु या अन्य बम भी घर पर बैठे बिठाए अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार गिराये जा सकते हैं । प्रक्षेपास्त्र के निर्माण में भारत भी पीछे नहीं है । राष्ट्रीय हितों को सामने रख कर भारत आज कई प्रकार के गाइडेड मिसाइलों का निर्माण और परीक्षण कर रहा है । इस श्रृखला में “पृथ्वी” नामक मिसाईल का निर्माण और परीक्षण किया गया । उसके बाद त्रिशूल नाम के प्रक्षेपास्त्र, अग्नि का निर्माण और परीक्षण किया । इसके निर्माण और सफल परीक्षण ने भारत को मिसाईल कार्यक्रमों के क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बना दिया है । अब इस कला में दक्ष भारत विश्व का छठा देश बन गया है । इसके अतिरिक्त भारत नाम और आकाश नामक दो अन्य प्रक्षेपास्त्रों का निर्माण भी कर चुका है । वह दिन दूर नहीं जब भारत प्रक्षेपास्त्रों की अपनी विकास यात्रा में अन्य विकसित देशों की सक्षमता को प्राप्त कर लेगा ।

इस समय हमारे देश में जनसंख्या एक अरब से अधिक हो चुकी है । इसका क्षेत्रफल 32 लाख 68 हजार 10 वर्ग किलो मीटर है । इस आकार के रुप में भारत वर्ष का विश्व में सातवां स्थान है । 26 जनवरी 1950 को हमारा देश सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न लोकतांत्रिक गणराज्य बना। तब से लेकर आज तक हमारा देश निरंतर विकास एवं समृद्धि की ओर अग्रसर है। “हिन्दी” भारत संघ की राष्ट्रभाषा है। राष्ट्रचिन्ह अशोक स्तंभ के “सिंह” है। “चक्रांकित” “तिरंगा” यहां का राष्ट्रीय ध्वज है। “जन गण मन” हमारा राष्ट्रगान है। तथा “वंदेमातरम” राष्ट्रगीत है। और मोर राष्ट्रीय पक्षी तथा “बाज” राष्ट्रीय पशु है। तुला राष्ट्रपति का चिन्ह है।

जलवायु की दृष्टि से भी भारत विश्व में श्रेष्ठ है। यहाँ प्रकृति ने छः ऋतुए है। बसंत से प्ररंभ होने वाला ऋतु का यह चक्र ग्रीष्म, वर्षा शरद तथा हेमंत से होता हुआ शिशिर पर समाप्त होता है। इसलिए राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त ने कहा कि

“षट ऋतुओम का विविध दृष्ययुक्त अद्भुत क्रम है,
हरियाली का फर्श नहीं, मखमल से कम है।
शुचि सुधा सींचता रात में, तम पर चंड प्रकाश है,
हे मातृभूमि, दिन में तर्पण करता नभ का नाश है।”

भारत की प्राचीन वास्तुकला अपने आप में एक बेजोड़ है । भारत का अतीत कितना उन्नत था इस बात का अंदाजा आयुर्वेद, धनुर्वेद, ज्योतिष, गणित, राजनीति चित्रकला वस्त्र निर्माण से लगाया जा सकता है। आज भी विश्व के लोग भारत के अध्यात्म और जीवन मूल्यों के प्रति आकर्षित है। यही कारण है कि भौतिक सुखों का त्याग और आत्मज्ञान प्राप्ति के लिए आज भी विदेशियों का भारत आना जारी है। संस्कृति, सभ्यता, जीवन मूल्य, जीवन शैली तथा आत्माज्ञान भारत की भूमि के कण-कण में व्याप्त है ।

हमारे देश की “सर्वजन सुखाय व सर्व जन हिताय” की भावना में दृढ़ विश्वास है। और मानव-मानव में सद्बाव व प्रेम संचार करने में प्राचीन काल से ही कार्यरत है। परोपकार, त्याग के जितने सुंदर उदाहरण हमारे महापुरुषों के मिलते हैं, शायद ही किसी अन्य राष्ट्र के मिलें । भगवान श्री राम, भगवान श्रीकृष्ण, भगवान महावीर, महर्षि दधीचि आज संपूर्ण मानव जाति के लिए आदरणीय व पूजनीय हैं। इसके अतिरिक्त प्रतापी सम्राट विक्रमादित्य, चन्द्रगुप्त मौर्य, अशोक, अकवर तथा शिवाजी जैसे सम्राट तथा रानी लक्ष्मीबाई, तात्याटोपे, सरदार भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चन्द्रशेखर आजाद जैसे महान स्वाधीनता स्वतंत्रता सेनानी भी हमारे देश में पैदा हुए हैं। जिनके बलिदान से ही आज हमारा अस्तित्व है ।

इस प्रकार हमारा भारत देश अपने प्राचीन और नवीन परिवर्तनों के साथ समायोजन करते हुए, अनेक समस्याओं का सामना करते हुए, राष्ट्र प्रगति के लिए नवीन योगनाओं का निर्माण करते हुए तथा अपनी धर्म निरपेक्षता, शांतिवाद की भावना को कायम रखते आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है। नवीन तकनीकियों और प्रणालियों के द्वारा देश की आर्थिक दशा को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। जिससे देश आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो सके और निरंतर प्रगति की ओर बढ़ सके।

इस प्रकार हमारा भारत वर्ष प्रगति की ओर बढ़ता हुआ - अरुण होता हुआ मधुमय भरा देश है।




नाम - जया मेहर
कक्षा - आठवी ‘ब’
उम्र – 12 वर्ष
पता – सेठ किरोड़ीमल बाल मंदिर, रायगढ़, छत्तीसगढ़

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