9/05/2007

आतंकवादियों ने फिर किया साम्प्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने का दुष्प्रयास


दक्षिण भारत के समृद्ध राज्य आंध्रप्रदेश की राजधानी हैदराबाद गत् 25 अगस्त की शाम को उस समय फिर दहल उठी जबकि आतंकवादियों द्वारा इस प्राचीन एवं ऐतिहासिक शहर में एक साथ दो स्थानों पर बम विस्फोट कर लगभग 45 बेकुसूर लोगों को मार दिया गया। इस हादसे में लगभग 50 लोग बुरी तरह घायल भी हो गए। ऐसा लगता है कि यह विस्फोट 18 मई को मक्का मस्जिद में हुए उस बम विस्फोट के ठीक 100 दिन पूरे होने के अवसर पर आतंकवादियों द्वारा पूरे योजनाबद्ध तरीके से किए गए थे जिसमें कि 11 लोग मारे गए थे। 25 अगस्त को हुए इस ताजातरीन विस्फोट में एक हादसा लुम्बिनी पार्क नामक स्थान पर हुआ जहां एक ऑडिटोरियम में पर्यटक तथा स्थानीय लोग एक लेंजर शो का आनन्द ले रहे थे। शो के दौरान अचानक उसी हॉल में विस्फोट की घटना घटी। इसमें 10 लोग मारे गए। इसी प्रकार ठीक उसी समय हैदराबाद के सुप्रसिद्ध गोकुल चाट भण्डार पर एक दूसरा बड़ा धमाका हुआ जिसमें पैंतीस लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे। उसी समय इन दो बम धमाकों के अतिरिक्त भी हैदराबाद शहर में दो अन्य स्थानों से सुरक्षाबलों द्वारा ऐसे विस्फोटक बरामद किए गए हैं जोकि इन विस्फोटों के कुछ देर बाद रात साढ़े दस बजे विस्फोट होने वाले थे जिनसे और भी अधिक तबाही हो सकती थी।

हैदराबाद जैसे साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश करने वाले इस शहर पर तीन महीने में दूसरी बार आतंकवाद के प्रहार की यह दूसरी बड़ी घटना है। वैसे तो 1998 से ही दक्षिण भारत में कहीं न कहीं आतंकवादी गतिविधियां चलती रही हैं। परन्तु इस प्रकार की लगातार होने वाली घटनाओं से यही लगता है कि अब आतंकवादियों की नज़रें दक्षिण भारत में फल-फूल रहे साम्प्रदायिक सद्भाव के सौहार्द्रपूर्ण वातावरण को आघात पहुंचाने में पूरी तरह लग गई हैं। इस हादसे ने एक बार फिर न सिर्फ हैदराबाद अथवा दक्षिण भारत बल्कि पूरे भारतवासियों को व समूचे मानवता प्रेमियों को यह सोचने को विवश कर दिया है कि आंखिर यह मुट्ठी भर दहशतगर्द इसी प्रकार कब तक बेगुनाहों के खून से अपने नापाक हाथों को लथपथ करते रहेंगे? यह भाड़े के आतंकवादी आंखिर यह क्यों नहीं समझ पाते कि इनकी इस प्रकार की शैतानी हरकतों से भारत जैसे विशाल देश के साम्प्रदायिक सद्भावपूर्ण वातावरण का कुछ बिगड़ने वाला नहीं है। खासतौर पर हैदराबाद जैसा शहर जोकि पूरे भारत में हिन्दू-मुस्लिम एकता की एक मिसाल पेश करने वाले शहर के रूप में जाना जाता है, कभी भी आतंकवादियों की नापाक मंशा को पूरा नहीं कर सकता।

इसके पूर्व 18 मई को हैदराबाद की प्रसिद्ध मक्का मस्जिद में हुए विस्फोट में मारे गए सभी लोग वे मुसलमान नमांजी थे जोकि मक्का मस्जिद में शुक्रवार की नमांज अदा करने गए हुए थे। इस विस्फोट को अन्जाम देकर आतंकवादी भारत के मुसलमानों का ध्यान किसी अन्य दिशा में बांटना चाह रहे थे। उनकी कोशिश थी कि भारत के मुसलमानों में इन विस्फोटों के बाद ग़म और ग़ुस्सा पैदा हो तथा देश के साम्प्रदायिक सौहार्द्र को आहत करने में यह अपनी नकारात्मक भूमिका अदा करें। परन्तु हैदराबाद के लोगों को विशेषकर वहाँ के मुसलमानों को यह समझने में देर न लगी कि यह उन्हीं पेशेवर आतंकवादियों के कारनामे हैं जो कभी रघुनाथ मन्दिर को अपना निशाना बनाते हैं तो कभी संकटमोचन मन्दिर अथवा अक्षरधाम मन्दिर को। हैदराबाद के अमन पसन्द लोगों ने मक्का मस्जिद विस्फोट के बाद यह समझ लिया कि मालेगांव के कब्रिस्तान को अपनी नापाक हरकतों से अपवित्र करने वाली ताकतों ने ही मक्का मस्जिद को भी अपवित्र करने का दुस्साहस किया है।

अब यह आतंकवादी इस बात को भली-भांति समझ चुके हैं कि चूंकि भारत में साम्प्रदायिक दुर्भावना फैलाने के उनके सभी प्रयासों को इस देश की साम्प्रदायिक एकता ने परवान नहीं चढ़ने दिया लिहाज़ा अब उन्हीं दहशतगर्दों ने धर्मस्थलों को निशाना बनाने के बजाए अथवा धार्मिक स्थानों में विस्फोट करने के बजाए पुन: भीड़-भाड़ भरे सार्वजनिक स्थलों को निशाना बनाने की रणनीति अख्तियार की है। हैदराबाद में गत् दिनों हुए दो विस्फोटों में हिन्दू व मुसलमान दोनों ही समुदायों के लोग मारे गए हैं जिनमें औरतें व बच्चे भी शामिल हैं।

इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भारत की राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने भी इसी बात का अंदेशा ज़ाहिर किया है कि यह विस्फोट शहर की शांति भंग करने की नीयत से किए गए हैं। आंध्र प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री वाई एस आर राजशेखर रेड्डी ने भी इस घटना को आतंकवादी घटना बताया तथा आम लोगों से राज्य में अमन कायम रखने की अपील की। इस हादसे के बाद पूरे राज्य में रेड एलर्ट जारी कर दिया गया है। इस घटना से एक सवाल यह भी पैदा होता है कि आतंकवादियों द्वारा तीन माह के भीतर ही दक्षिण भारत के इस सबसे प्रसिद्ध नगर हैदराबाद को ही पुन: निशाना बनाने की आंखिर क्या ज़रूरत थी? केवल शहर के साम्प्रदायिक सौहार्द्र को छिन्न-भिन्न करने का ही यह एक घिनौना प्रयास था या फिर इसके पीछे और भी कोई सांजिश हो सकती है। इस विषय पर कुछ विशेषज्ञों की राय है कि आतंकवादियों द्वारा हैदराबाद को लगातार दो बार निशाना बनाए जाने का मंकसद साम्प्रदायिक सद्भाव को चोट पहुंचाना तो है ही साथ-साथ इसके पीछे एक और गहरी साज़िश यह भी काम कर रही है कि ऐसे हादसे अंजाम देकर यह भारत विरोधी शक्तियां उन विदेशी निवेशकों के मध्य भी दहशत का माहौल पैदा करना चाहती हैं जो दक्षिण भारत में पूंजी निवेश किए जाने की योजना बना रहे हैं या बना चुके हैं। ज्ञातव्य है कि सूचना एवं प्रोद्यौगिकी की भारत में आई जबरदस्त क्रांति का केन्द्र इस समय दक्षिण भारत के दो प्रमुख नगर हैदराबाद व बैंगलोर ही हैं। इन दोनों स्थानों पर स्वदेशी तथा विदेशी निवेशकों द्वारा जबरदस्त पूंजी निवेश सूचना एवं प्राद्यौगिकी के क्षेत्र में किया जा रहा है। ऐसे बम विस्फोटों के द्वारा आतंकवादी उन निवेशकों को भी डराना चाहते हैं जोकि दक्षिण भारत में सफल व्यापार की संभावनाएँ तलाश रहे हैं।

इन बम विस्फोटों के विषय में कुछ जानकारों का यह भी मत है कि इस्लाम के नाम पर अपनी आतंकवादी गतिविधियां चलाने वाली कुछ शैतानी ताकतें पूरे भारत में हिन्दुओं व मुसलमानों के मध्य खुला टकराव कराना चाहती हैं। ठीक उसी तरह जैसे कि भारत में सक्रिय कुछ हिन्दुत्ववादी शक्तियां भी ऐसी ही विचारधारा का पोषण करती हैं। परन्तु अमन पसन्द भारतीय जनता, साम्प्रदायिकता फैलाने वाली इन शक्तियों के इरादों को बंखूबी भांप चुकी है। भारत की अधिकांश जनता धार्मिक भावनाओं में बहने के बजाए अमन व शांति के मार्ग पर चलना अधिक पसन्द करती है। इस देश में मन्दिरों व मस्जिदों में, बाजारों, पार्कों व अन्य कई सार्वजनिक स्थलों में आतंकवादियों द्वारा बेगुनाह लोगों की हत्याएँ किए जाने के कई हादसे हो लिए। परन्तु इस देश के साम्प्रदायिक सद्भाव को कोई आंच नहीं आई। लिहाज़ा अब दक्षिण भारत पर अपनी गतिविधियां केन्द्रित कर यह आतंकवादी भारत की अर्थव्यवस्था तथा भारत में होने वाले पूंजी निवेश को प्रभावित करने का दुष्प्रयास करने लगे हैं।

हम सभी अमन पसंद भारतवासियों का यह फ़र्ज है कि हम सब मिलजुल कर इन आतंकवादियों के सभी नापाक इरादों को नाकाम करें। हमारी एकता व सद्भाव इन आतंकवादियों के इरादों पर उससे भी बड़ा प्रहार करती है जोकि इनके द्वारा बम विस्फोट जैसी घटनाओं को अंजाम देकर तथा बेगुनाहों की जान लेकर किए जाते हैं। हमें आतंकवादियों के नापाक इरादों को पहले की ही तरह हर बार बारीकी से समझने की तथा अपनी एकता व सहनशीलता से इनके प्रत्येक प्रहारों का जवाब दिए जाने की सख्त ज़रूरत है।

तनवीर जाफ़री
हरियाणा

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